अमृत एफएमसी में नाइट्रोजन स्थिरीकरण, फॉस्फेट घुलनशीलता, पोटाश और जिंक जुटाने के लिए सूक्ष्मजीवों को बढ़ावा देने वाले पौधे शामिल हैं।
अमृत एफएमसी आवश्यक पोषक तत्वों और आसानी से उपलब्ध प्रोटीन मीडिया से समृद्ध है ।
फ़ायदे:
अमृत एफएमसी में एज़ोस्पिरिलियम एसपी, एज़ोटोबैक्टर एसपी और राइज़ोबियम एसपी शामिल हैं जो मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता में सुधार करने, पौधों के पोषक तत्वों को ग्रहण करने और आत्मसात करने के साथ-साथ 20-40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के स्तर पर नाइट्रोजन चक्रण का समर्थन करने और इसे पौधों को उपलब्ध कराने में सक्षम हैं।
फास्फोरस का स्तर 10-15 किग्रा/हेक्टेयर तथा पोटाश का स्तर 30-50 किग्रा/हेक्टेयर रखें तथा इसे पौधों को उपलब्ध करायें।
अमृत एफएमसी मिट्टी की उर्वरता में सुधार करता है और फसल की उपज में वृद्धि करता है।
उपरोक्त सभी लाभकारी कारकों के कारण फसल की उपज में 10-20% की वृद्धि होगी।
नैप्लिकेशन की विधि:
बीज उपचार :- 100 मिलीलीटर अमृत एफएमसी को 1 लीटर पानी में मिलाकर घोल से बीज को उपचारित करें, बीज को छाया में सुखाकर बीज बोयें।
मृदा उपचार :- ड्रिप/उद्यम के माध्यम से 1 एकड़ के लिए 5 लीटर अमृत एफएमसी डालें।
200 लीटर जीवामृत में 5 लीटर अमृत एफएमसी मिलाएं और नियमित रूप से हिलाते हुए चार दिनों के लिए छोड़ दें, फिर तैयार कंसोर्टिया को खेत में डालें।